शिमला. हिमाचल प्रदेश में लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) के साथ छह सीटों पर उपचुनाव भी होने जा रही हैं. भाजपा ने हाल में ही में कांग्रेस छोड़कर पार्टी में शामिल हुए छह पूर्व विधायकों को टिकट दिया है. ये 2022 के विधानसभा चुनाव (Himachal By Elections) में कांग्रेस के टिकट पर लड़कर जीते थे. सभी की पृष्टभूमि कांग्रेस की रही है.
जानकारी के अनुसार, भाजपा ने धर्मशाला से सुधीर शर्मा, सुजानपुर से राजिंदर राणा, कुटलेहड़ से देवेंद्र भुट्टो, लाहौल स्पीति से रवि ठाकुर, गगरेट से चैतन्य ठाकुर और बड़सर से आईडी लखनपाल को टिकट दिया है.
सुधीर शर्माः पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा का जन्म दो अगस्त 1972 को हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा के पपरोला में हुआ है. सुधीर ने अपने सियासी करियर की शुरुआत कॉलेज टाइम से की. इस दौरान वह एनएसयू आई में रहे. साल 2003 में सुधीर ने बैजनाथ से पहली बार चुनाव लड़ा और जीता. इसके बाद, 2007 में भी जीत हासिल की. 2012 में भी वह चुनाव जीते और वीरभद्र सरकार में मंत्री बने. लेकिन इस बार यह सीट आरक्षित हो गई तो सुधीर शर्मा ने धर्मशाला ने जीत हासिल की. 2017 के चुनाव में वह धर्मशाला से हार गए. उनके पिता पंडित संत राम वीरभद्र सिंह कैबिनेट के वरिष्ठ सदस्य रहे थे. पिता पंडित संत राम के बाद सुधीर शर्मा ने भी वीरभद्र सिंह की कैबिनेट में काम किया था. 2022 में वह कांग्रेस के टिकट पर जीते थे, लेकिन मंत्री ना बनाने की वजह उन्होंने पहले तो राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग की और अब भाजपा में शामिल हो गए.
राजिदंर राणाः राजिंदर राणा हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर के सुजानपुर तीन बार विधायक रहे हैं. वह कभी पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल के खास हुआ करते थे. 2012 में उन्होंने आजाद चुनाव लड़ा और जीता. फिर बाद में उन्होंने वीरभद्र सरकार को समर्थन किया और साथ ही कांग्रेस में भी शामिल हो गए. 2017 के विधानसभा में राजिंदर राणा ने खासी सुर्खियां बटोरी, क्योंकि इन्होंने यहां से भाजपा के सीएम कैंडिडेट प्रेम कुमार धूमल को मात दी. फिर 2022 में राणा यहां से दोबारा से विधायक बने. लेकिन सुक्खू कैबिनेट में उन्हें जगह नहीं मिली तो उन्होंने बगावत कर दी.
रवि ठाकुरः रवि ठाकुर लाहौल स्पीति से आते हैं. उनकी माता भी यहां से विधायक रही थी. रवि का माता लता ठाकुर इंदिरा गांधी की काफी करीब थी. साल 1972 में उनकी माता लता ठाकुर लाहौ स्पीति से चुनाव जीता था. साल 2012 में पहली कांग्रेस के रवि ठाकुर ने यहां से चुनाव लड़ा और जीता. लेकिन 2022 में वह हार गए थे. साल 2022 में वह दोबारा जीते और विधानसभा पहुंचे. वह अपने इलाके में एसडीएम अफसरों के तबादले और अधिकारियों की तैनाती ना होने से परेशान था. इसी वजह से इन्होंने कांग्रेस को अलविदा कहकर भाजपा का दामना दामा था.

इंद्रदत्त लखनपालः इंद्रदत्त लखन पाल का जन्म 27 अक्तूबर 1962 को हुआ है. वह हमीरपुर जिले के बड़सर से हैं. लखनपाल तीन बार विधायक रहे हैं. वह शिमला नगर निगम में तीन बार पार्षद भी रहे हैं. हालांकि, 2012 में उन्होंने पहली बार बड़सर से चुनाव जीता था. फिर लगातार यहां से जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं.
देवेंद्र भुट्टोः देवेंद्र भुट्टो पहली बार हिमाचल प्रदेश विधानसभा में पहुंचे थे और 2022 के चुनाव में जीत हासिल की थी. वह हिमाचल कांग्रेस के सचिव भी थे.साल 2013 तक वह हिमाचल भाजपा के सदस्य थे. लेकिन बाद में वह कांग्रेस में शामिल हुए थे. अब उन्हें भाजपा ने टिकट देकर उपचुनाव में उतारा है.
चैतन्य शर्माः ऊना के गगरेट से चैतन्य शर्मा भी पहली बार 2022 में विधायक बने थे. उनके पिता उत्तराखंड में भाजपा की सरकार में मुख्य सचिव भी रहे हैं. चैतन्य हिमाचल की कांग्रेस सरकार में सबसे युवा विधायक थे. लेकिन अब वह भाजपा के प्रत्याशी के तौर पर उपचुनाव लड़ेंगे.
क्या है हिमाचल विधानसभा का गणित
हिमाचल प्रदेश में 68 विधानसभा सीटें हैं. लेकिन छह बागियों की सदस्यता विधानसभा स्पीकर ने रद्द कर दी थी. इसके अलावा, तीन निर्दलीयों ने भी इस्तीफा दे दिया था. अब कुल 9 सीटें हिमाचल विधानसभा में खाली हैं. कांग्रेस के पास अभी 34 विधायक और भाजपा के पास 25 विधायक हैं.
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FIRST PUBLISHED : March 26, 2024, 15:30 IST